बुद्ध शांति सन्देश भाग 3 - गौतम बुद्ध
बुद्ध शांति सन्देश भाग 3 - गौतम बुद्ध
सिद्धार्थ अर्थात गौतम बुद्ध अपने बाल्य काल से ही दयालु स्वभाव के थे। उनके मन में सबके लिया सदा करुणा होती थी। वो खुद सरल ह्रदय थे इसलिए सबको वे एक द्रिष्टी से देखते थे। उनके मन में कभी किसी भी प्राणी को लेकर भेद भाव ने जन्म नहीं लिया। उन्होंने सदा अपने शुद्ध विचारो समस्त मानव जाती को पवित्र ही किया। उन्ही भगवान् गौतम बुद्ध के कुछ महान उपदेश आज हम आपके सामने लेकर आये है। उपदेश ---
(१)हमें अपनी गलतियों सजा तुरंत भले ही न मिले परन्तु समय के साथ कभी न कभी अवश्य मिलती है।
अर्थात हमें अपने किये हुवे हर पाप कर्म का फल भोगना पड़ता है।
(२)मैं कभी नहीं देकता की क्या किया जा चुका है , बल्कि मैं हमेशा ये देखता हु की क्या किया जाना बाकी है। अर्थात मनुष्य को आशावादी होना चाहिए क्योकि मानव का आत्मविश्वास ही उसकी जीत की ध्वजा है।
(३ )हज़ारो अच्छी किताबो और शब्दों को पढ़ने से क्या लाभ जब तक आप उन अच्छे विचारो को अपने आचरण में न ढाल ले। अर्थात कही से भी कुछ सीखने को मिले तो सीख लो क्योकि वेदो और ग्रंथो का ज्ञान सिर्फ पढ़ने से नहीं नहीं अपितु उसमे लिखी बातो को आचरण में लाने से लाभ होगा।
(४ )इर्षा और नफरत की आग में जलने वाला मनुष्य चाहे जितने जतन करले वो कभी सच्ची ख़ुशी और हसी नहीं प्राप्त कर सकता। क्योकि ऐसेलोग अपने दुःख से दुखी नहीं होते अपितु सामने वाले के सुख से दुखी होते है।
(५ )इस पूरी दुनिया में इतना अन्धकार नहीं की वो एक छोटी सी मोमबत्ती का प्रकाश बुझा सके।अर्थात सच्चा ज्ञान कभी छुपाया और चुराया नहीं जा सकता।उसका प्रकाश निरंतर सर्वत्र फैलता है।
बुद्ध का वो देव ज्ञान आज भी हमारा मार्गदर्शन करने में पूर्ण सक्षम है। बुद्ध हम सब के भीतर है। वो परम शांति है। वो दिव्य विभूति है। बुद्ध का ज्ञान ही सत्य है बाकी सब असत्य है। बुद्ध के उपदेशो में वो परम शांति है जिसे अपनाकर संसार का हर मनुष्य अपने जीवन को सही दिशा दे सकता है।
"बुद्धम शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि "
Image Credit Goes To Pixabay |
(१)हमें अपनी गलतियों सजा तुरंत भले ही न मिले परन्तु समय के साथ कभी न कभी अवश्य मिलती है।
अर्थात हमें अपने किये हुवे हर पाप कर्म का फल भोगना पड़ता है।
(२)मैं कभी नहीं देकता की क्या किया जा चुका है , बल्कि मैं हमेशा ये देखता हु की क्या किया जाना बाकी है। अर्थात मनुष्य को आशावादी होना चाहिए क्योकि मानव का आत्मविश्वास ही उसकी जीत की ध्वजा है।
(३ )हज़ारो अच्छी किताबो और शब्दों को पढ़ने से क्या लाभ जब तक आप उन अच्छे विचारो को अपने आचरण में न ढाल ले। अर्थात कही से भी कुछ सीखने को मिले तो सीख लो क्योकि वेदो और ग्रंथो का ज्ञान सिर्फ पढ़ने से नहीं नहीं अपितु उसमे लिखी बातो को आचरण में लाने से लाभ होगा।
(४ )इर्षा और नफरत की आग में जलने वाला मनुष्य चाहे जितने जतन करले वो कभी सच्ची ख़ुशी और हसी नहीं प्राप्त कर सकता। क्योकि ऐसेलोग अपने दुःख से दुखी नहीं होते अपितु सामने वाले के सुख से दुखी होते है।
(५ )इस पूरी दुनिया में इतना अन्धकार नहीं की वो एक छोटी सी मोमबत्ती का प्रकाश बुझा सके।अर्थात सच्चा ज्ञान कभी छुपाया और चुराया नहीं जा सकता।उसका प्रकाश निरंतर सर्वत्र फैलता है।
बुद्ध का वो देव ज्ञान आज भी हमारा मार्गदर्शन करने में पूर्ण सक्षम है। बुद्ध हम सब के भीतर है। वो परम शांति है। वो दिव्य विभूति है। बुद्ध का ज्ञान ही सत्य है बाकी सब असत्य है। बुद्ध के उपदेशो में वो परम शांति है जिसे अपनाकर संसार का हर मनुष्य अपने जीवन को सही दिशा दे सकता है।
"बुद्धम शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि "
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