डाकू अंगुलिमाल का ह्रदय परिवर्तन - गौतम बुद्ध
डाकू अंगुलिमाल की कथा
भगवान् बुद्ध अर्थात गौतम बुद्ध का नाम या उनका ख्याल जब भी हमारे मन में अत है तो हम सबको खुद ही आंतरिक शांति की महसूस होती है क्योकि शांति का दूसरा नाम गौतम बुद्ध है।Image Credit Goes To Public Domain Pictures & axelle b |
बुद्ध के समीप आकर बड़े-बड़े राजा महाराज और डाकुओ के ह्रदय परिवर्तन हो गए। अखंड भारत पर राज्य करने वाले सम्राट अशोक ने भी समस्त भारत पर विजय प्राप्त करने के बाद सब कुछ त्याग दिया और बौद्ध भिक्षु बन गए क्योकि सम्पूर्ण वैभव को प्राप्त करने के बाद भी मानव जिस शांति को खोजता है उसे किसी भौतिक साधन से प्राप्त नहीं किया जा सकता अपितु जब वही मानव बुद्ध की शरणागति लेता है तो उनको आत्मशांति के साथ आत्मसुख की भी प्राप्ति होती है।
डाकू अंगुलिमाल
डाकू अंगुलिमाल एक प्रसिद्द डाकू था जो लोगो की उंगलियां काट के उनकी माला बनाकर पहनता था। वो बड़ा खूंखार डाकू था। उसका निवास स्थान एक गुफा थी जो श्रावस्ती जिले में आज भी बनी हुवी है।
एक बार भगवान् बुद्ध जब घने वन से जा रहे थे तब डाकू अंगुलिमाल ने बुद्ध का रास्ता रोक लिया और उसकी मंशा बुद्ध को लूटने की थी। उसने बुद्ध को धमकाते हुवे कहा की जब मैंने रुकने को कहा तो तुम क्यों नहीं रुके। तब बुद्ध ने कहा की अंगुलिमाल, मैं तो कबका रुक गया था बस तुम्ही नहीं रुके।
बुद्ध के वचन से वो डाकू इतना प्रभावित हुवा की उसकी आँखों से अश्रुओ की धारा बह निकली और उसने बुद्ध के चरणों में अपने हतियार दाल दिए परन्तु उसके मन में एक शंका थी और उसने बुद्ध से प्रश्न किया की हे बुद्ध मैंने अपने जीवन में बहुत ही घृड़ित कर्म किये है जिसकी वजह से ये सारा समाज मुझसे घृणा करता है। इसलिए मुझे इस समाज में कौन स्थान देगा। तब बुद्ध ने कहा की तुमने आज तक केवल हिंसा की थी परन्तु आज से तुम्हारा नया जीवन आरम्भ होता है और तुमको मैं अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करता हु। आज से तुम्हारा नया नाम "अहिंसक" होगा।
तब से डाकू अंगुलिमाल भगवान् बुद्ध का भिक्षु बन गया और समाज के कल्याण की कामना करने लगा।
विशेष -हम सबको बुद्ध को रोज प्रातः स्मरण करना चाहिए जिससे हम सबको आत्मिक शांति और शक्ति प्राप्त हो और हम सब पर बुद्ध की कृपा हो।
"बुद्धम शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम् गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि "
तब से डाकू अंगुलिमाल भगवान् बुद्ध का भिक्षु बन गया और समाज के कल्याण की कामना करने लगा।
विशेष -हम सबको बुद्ध को रोज प्रातः स्मरण करना चाहिए जिससे हम सबको आत्मिक शांति और शक्ति प्राप्त हो और हम सब पर बुद्ध की कृपा हो।
"बुद्धम शरणम् गच्छामि
धम्मं शरणम् गच्छामि
संघम शरणम् गच्छामि "
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