बुद्ध पूर्णिमा उत्सव विशेष
"बुद्ध पूर्णिमा अर्थात बुद्ध की पूर्णिमा" बुद्ध पूर्णिमा का महत्व बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत खास है क्योंकि पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था ,पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था और पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण लिया था। इसलिए इस पूर्णिमा को बौद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना गया।
गौतम बुद्ध
बुद्ध के अनुयाई अर्थात बुद्ध को मानने वाले आज केवल भारत और नेपाल में ही नहीं लगभग-लगभग पुरे विश्व में विराजमान हैं। बुद्ध के उपदेशों के का प्रभाव आज पूरे विश्व में दिखाई पड़ता है जिसकी वजह से समस्त विश्व की आबादी एक तिहाई भाग अर्थात विश्व की एक तिहाई आबादी आज भगवान बुद्ध को मानती है और बुद्ध के उपदेशों का अनुसरण करने का प्रयास करती है।
भगवन बुद्ध का प्रारंभिक जीवन
भगवान बुद्ध का जन्म कब हुआ और कहां हुआ आज इस विषय में प्रकाश डालते हुवे हम आपको जानकरी उपलब्ध करा रहे है।
बुद्ध का जन्म लगभग 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी कपिलवस्तु नेपाल में हुआ था। नेपाल बुद्ध की जन्मस्थली है और भारत बुद्ध की कर्म स्थली है। जन्म ,ज्ञान को प्राप्त करना और महापरिनिर्वाण यह तीनों एक ही दिन होना ऐसा आज तक बुद्ध के अतिरिक्त अन्य किसी महापुरुष के साथ नहीं हुआ।
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बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था। इनके पिता का नाम राजा शुद्धोधन था और सिद्धार्थ (बुद्ध) की पत्नी का नाम यशोधरा था। बुद्ध के पुत्र का नाम राहुल था लेकिन ३० वर्ष की आयु में बुद्ध ने अपने घर का परित्याग किया और 36 वर्ष की आयु में उन्हें बोधगया में एक पीपल के पेड़ के नीचे बोधिसत्व प्राप्त हुआ और सिद्धार्थ बद्ध बन गए। उन्हें वह ज्ञान प्राप्त हुआ जिस ज्ञान के प्रकाश से उन्होंने समस्त विश्व का अंधकार अर्थात अज्ञान का अंधकार दूर किया।
बुद्ध के उपदेशों की विशेषता यह थी कि बुद्ध ने जो भी उपदेश दिए वह किसी ग्रंथ में लिखे हुए या संग्रह किए हुए नहीं थे बल्कि बुद्ध के व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर थे।
बुद्ध ने मानव समाज के लिए जो भी उपदेश दिए वे उन्होंने अपने वास्तविक जीवन के अनुभव के आधार पर बताये। बुद्ध ने अपने उपदेशो में वो उपाय बताएं जिससे मानव अपने दुखों से छुटकारा पा सकता है और परम ज्ञान को प्राप्त करके उस परम शांति को प्राप्त कर सकता है जिस शांति को स्वयं बुद्ध ने प्राप्त किया। हिंदुओं के लिए भी यह दिन पवित्र माना जाता है क्योंकि हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नवां अवतार माना जाता है।
बुद्ध के उपदेशों की विशेषता यह थी कि बुद्ध ने जो भी उपदेश दिए वह किसी ग्रंथ में लिखे हुए या संग्रह किए हुए नहीं थे बल्कि बुद्ध के व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर थे।
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बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव भारत सहित चीन ,नेपाल ,वियतनाम ,थाईलैंड, सिंगापुर ,कंबोडिया ,जापान ,मलेशिया ,श्रीलंका ,म्यानमार ,इंडोनेशिया आदि विश्व के बहुत सारे देशों में मनाया जाता है।
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