बुद्ध के तीन उपदेश | Buddha Ke Teen Updesh

तथागत बुद्ध का आध्यात्मिक ज्ञान

महात्मा बुद्ध का जीवन हम सब के लिए एक प्रेरक जीवन रहा है। उनकी जीवन शैली से हम सबको कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। शायद इसीलिए हम सब उनके बताए हुए उपदेशों का अनुसरण करते हुए उनको भगवान के रूप में पूजते हैं। 
सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्व की एक तिहाई आबादी गौतम बुद्ध को ही ईश्वर के रूप में पूजती है क्योंकि उन्होंने जो भी उपदेश दिए वह व्यक्तिगत जीवन के आधार पर दिए ,अपने अनुभव के आधार पर दिए न कि कहीं से लिखे सुने हुए उपदेशों को उन्होंने संसार के समक्ष प्रस्तुत किया। 
उनके तीन प्रमुख उपदेश जिनसे हमें अपने जीवन में लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्राप्त होती है और अपने कार्य में मार्गदर्शन प्राप्त होता है , आज हम आपके समक्ष लेकर प्रस्तुत हुवे है। 
बुद्ध के तीन उपदेश | Buddha Ke Teen Updesh - Buddha Updesh
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बुद्ध उपदेश-------- 

(१) गौतम बुद्ध ने इस बात को स्पष्ट रूप से कहा कि आपके पास जो कुछ भी है उसे दूसरों के समक्ष बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत मत कीजिए और ना ही कभी दूसरों से ईर्ष्या की भावना अपने मन में रखिए क्योंकि जो व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या की भावना रखता है और अपने पास की वस्तुओं को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत करता है उसे कभी मन की शांति नहीं मिलती।

(२) भगवान् बुद्ध से स्पस्ट रूप से कहा है की जैसे एक मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती वैसे ही मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं रह सकता अर्थात मनुष्य जीवन में उचित मार्गदर्शन और सात्विक शक्ति प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक जीवन परम आवश्यक है।
(३) गौतम बुद्ध ने कहा है की हज़ारो खोकले शब्दों से वो एक शब्द अच्छा है जो शांति लाएं अर्थात शांति को प्राप्त करना कोईं दुर्लभ कार्य नहीं है बस दोनों पक्षों में से कोई भी एक पक्ष जो शांति चाहता हो बिना ये सोचे की गलती किसकी थी , सामने वाले पक्ष से माफ़ी मांगकर तत्काल शांति को प्राप्त कर सकता है। बुद्ध के अनुसार जो शांति को लाता है ,वही असली विजेता होता है।

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