जो दिया सो पाया
जो दिया सो पाया - बुद्ध नमस्तुभ्यं
सिद्धार्थ अर्थात बुद्ध के अथक प्रयासों के कारन ही समस्त विश्व शांति की ओर अग्रसर हो सका। बुद्ध ने समस्त मानव जाती पे अपनी करुणा अपने उपदेशो के रूप में सदा न्योछावर की।
बुद्ध ने इस पृथ्वी पे अवतार धारण करके इस पृत्वी को धन्य कर दिया। कोई ये कहे की बुद्ध हिन्दू थे। कोई ये कहे की बुद्ध एक राजा थे। पर हम तो ये कहेंगे की जो हमे सत्मार्ग पे ले जाए वो केवल और केवल परमात्मा का रूप होता है फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। बुद्ध ने कभी किसी धर्म को त्यागने की बात नहीं कही। उन्होंने हर धर्म का सम्मान किया।
बुद्ध ने साफ़ तौर पे कहा की यदि तुम खुश रहना चाहते हो तो पहले समाज को खुश रखने का प्रयत्न करो क्योकि "तुम समाज से हो ये समाज तुमसे नहीं है " अर्थात यदि ये समाज खुश होगा तो तुम भी प्रसन्न रह सकोगे। जैसे अगर घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है और तुम घर के अंदर सफाई करते रहो तो इससे क्या लाभ। बहार का कूड़ा कभी न कभी हफ़ा के साथ मिटटी और धुल को आपके घर में अवश्य ले आएगा परन्तु अगर आप घर के भीतर और घर के बाहर ,दोनों जगह सफाई रखते है तो आप और आपका परिवार स्वस्थ रह सकेंगे।
ठीक उसी प्रकार अगर समाज के लोग खुश है तो आप भी सदा खुश रहेंगे।
बुद्ध की वाणी खुद एक प्रमाण के रूप में आज समस्त संसार के सामने विद्यमान है। बुद्ध ने अपने क्रोध को जीत लिया था इसलिए उन्होंने जो अनुभव पाया उसे सारे संसार के सामने प्रस्तुत किया की क्रोध ही समस्त पाप की जड़ है और क्रोध का साथी ये काम है जो क्रोध में घी डालने का काम करता है। बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन हमे बहुत कुछ सिखाता है। अगर हम सीखने के इच्छुक है तो हम उनके सम्पूर्ण जीवन से वो प्रेरणा शक्ति प्राप्त कर सकते है। बुद्ध के जीवन से हमे ,त्याग ,करुणा , वैराग्य , प्रेम ,मित्र भाव और सकारात्मकता को अपने जीवन में ग्रहण करने की शिक्षा मिलती है। बुद्ध हमे वो प्रेरणा शक्ति प्रदान करते है जिससे हम अपने जीवन में आत्मशांति के पथ पर अग्रसर हो पाते है।
हमे पूर्ण आशा और विश्वास है ही बुद्ध के इस ज्ञान को आप सिर्फ अपने तक न रख कर समस्त मानव जाती तक इस पोस्ट को शेयर करके उनके ज्ञान को अवश्य बाटेंगे।
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सिद्धार्थ अर्थात बुद्ध के अथक प्रयासों के कारन ही समस्त विश्व शांति की ओर अग्रसर हो सका। बुद्ध ने समस्त मानव जाती पे अपनी करुणा अपने उपदेशो के रूप में सदा न्योछावर की।
बुद्ध ने इस पृथ्वी पे अवतार धारण करके इस पृत्वी को धन्य कर दिया। कोई ये कहे की बुद्ध हिन्दू थे। कोई ये कहे की बुद्ध एक राजा थे। पर हम तो ये कहेंगे की जो हमे सत्मार्ग पे ले जाए वो केवल और केवल परमात्मा का रूप होता है फिर चाहे वो किसी भी धर्म का क्यों न हो। बुद्ध ने कभी किसी धर्म को त्यागने की बात नहीं कही। उन्होंने हर धर्म का सम्मान किया।
बुद्ध ने साफ़ तौर पे कहा की यदि तुम खुश रहना चाहते हो तो पहले समाज को खुश रखने का प्रयत्न करो क्योकि "तुम समाज से हो ये समाज तुमसे नहीं है " अर्थात यदि ये समाज खुश होगा तो तुम भी प्रसन्न रह सकोगे। जैसे अगर घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है और तुम घर के अंदर सफाई करते रहो तो इससे क्या लाभ। बहार का कूड़ा कभी न कभी हफ़ा के साथ मिटटी और धुल को आपके घर में अवश्य ले आएगा परन्तु अगर आप घर के भीतर और घर के बाहर ,दोनों जगह सफाई रखते है तो आप और आपका परिवार स्वस्थ रह सकेंगे।
ठीक उसी प्रकार अगर समाज के लोग खुश है तो आप भी सदा खुश रहेंगे।
बुद्ध ने कहा की किसी को पीड़ा पहुचाके आप कभी सुखी न हो सकेंगे क्योकि हम जो देते है बदले में वही हमे प्राप्त भी होता है पर जो भी प्राप्त होता है वो थोड़ा बढ़ के प्राप्त होता है अर्थात ख़ुशी बांटी थी तो ज़्यादा ख़ुशी मिलेगी और दुःख बांटा था तो ज़्यादा दुःख मिलेगा।
बुद्ध की वाणी खुद एक प्रमाण के रूप में आज समस्त संसार के सामने विद्यमान है। बुद्ध ने अपने क्रोध को जीत लिया था इसलिए उन्होंने जो अनुभव पाया उसे सारे संसार के सामने प्रस्तुत किया की क्रोध ही समस्त पाप की जड़ है और क्रोध का साथी ये काम है जो क्रोध में घी डालने का काम करता है। बुद्ध का सम्पूर्ण जीवन हमे बहुत कुछ सिखाता है। अगर हम सीखने के इच्छुक है तो हम उनके सम्पूर्ण जीवन से वो प्रेरणा शक्ति प्राप्त कर सकते है। बुद्ध के जीवन से हमे ,त्याग ,करुणा , वैराग्य , प्रेम ,मित्र भाव और सकारात्मकता को अपने जीवन में ग्रहण करने की शिक्षा मिलती है। बुद्ध हमे वो प्रेरणा शक्ति प्रदान करते है जिससे हम अपने जीवन में आत्मशांति के पथ पर अग्रसर हो पाते है।
हमे पूर्ण आशा और विश्वास है ही बुद्ध के इस ज्ञान को आप सिर्फ अपने तक न रख कर समस्त मानव जाती तक इस पोस्ट को शेयर करके उनके ज्ञान को अवश्य बाटेंगे।
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