ध्यान एक युक्ति - शांति यात्रा

ध्यान एक युक्ति है जिसके माध्यम से हम उस शांति को खोजते है जिसे संसार का हर प्राणी पाना चाहता है। हर कोई उस अदृश्य शक्ति को देकना चाहता है जो इस संसार में व्याप्त तो है पर दृश्यमान नहीं है। हर मनुष्य के पास कोई न कोई कारण है दुखी होने का पर जो योगी ध्यान साधना के माध्यम से उस परम तत्त्व को प्राप्त करने निकले उनके पास दुखी होने का कोई कारण नहीं था पर सुख प्राप्ति के हज़ारो कारण उनको उनके ध्यान द्वारा प्राप्त हुवे। ध्यान का मतयब ये नहीं की संसार त्याग दिया जाए बल्कि ध्यान का मतलब ये है की संसार में रहते हुवे ध्यान किया जाए और जिस प्रकार कमल का फूल कीचड में होकर भी उस कीचड से दूर होता है और पवित्र बना रहता है ठीक उसी प्रकार योगी को भी संसार में कमल के फूल की भाँती रहना चाहिए।
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प्रतिदिन ध्यान करने से हमारे चित को शांति की अनुभूति होती है। लगातार ध्यान का अनुभव हो जाने से हमारी कुण्डलिनी शक्तियाँ भी जागृत होने लगती है और हमें उस परम तत्त्व के दर्शन होने लगते है। हमारा संकल्प ही हमारा भगवान् है अर्थात जब विचारो में शुद्धि होगी तो परमात्मा स्वयं हमारे ह्रदय में निवास करने लगता है फिर हमें किसी बाहरी आडम्बर की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसलिए अपने भूतकाल को भूत में छोड़कर अपने वर्तमान में जीने का प्रयास करें और प्रतिदिन ध्यान के लिए समय निकाल कर कर कुछ समय ध्यान करें। 
बुद्धम शरणम् गच्छामि  

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