सकारात्मक सोच की प्राथमिकता
सकारात्मक सोच की प्राथमिकता
सोच जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि सोच हमारी जीवन मार्गदर्शिका है। हम सभी अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक में बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन केवल कुछ लोग ही अपनी भावनाओं को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करने में सफल होते हैं। हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्यों को निर्धारित करना है। सफल लोगों के लिए, तनाव का केवल एक पल और बाकी समय केवल काम के लिए होता हैं। सकारात्मक सोचने के लिए, हमें कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए है :-
(1) व्यर्थ की बातो में अपने बहुमूल्य समय को बर्बाद मत करो।
(2) हमेशा अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए लक्ष्य को याद रखने का प्रयास करें।
(3) दूसरों की बुराई करने से बचें।
(4) अपने भीतर केवल अपनी नहीं अपितु सबके कल्याण की भावना का विकास करें।
(5) हमारा हर विचार एक कर्म है जिसके परिणामस्वरूप हमारी नियति प्रभावित होती है।
(6) गलत कर्म न केवल गलत कार्य कर रहा है बल्कि गलत विचार भी बना रहा है।
(7) दूसरो के विषय में इर्षा की भावना रखने से मनुष्य स्वयं अपने पतन की ओर अग्रसर हो जाता है।
(8) ये नकारात्मक विचार हमें दुखी करते हैं और यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित करते है और संबंधों में संघर्ष बनाते है, जो हमारी नियति बन जाता है।
अतः हम सबको हमेशा अच्छी सोच रखनी चाहिए जिससे हम संसार के लिए एक प्रेरणात्मक उदाहरण बन जाए।
सोच जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि सोच हमारी जीवन मार्गदर्शिका है। हम सभी अपने नकारात्मक विचारों को सकारात्मक में बदलने की कोशिश करते हैं, लेकिन केवल कुछ लोग ही अपनी भावनाओं को सकारात्मक रूप से परिवर्तित करने में सफल होते हैं। हम सभी को अपने जीवन के लक्ष्यों को निर्धारित करना है। सफल लोगों के लिए, तनाव का केवल एक पल और बाकी समय केवल काम के लिए होता हैं। सकारात्मक सोचने के लिए, हमें कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए है :-
(1) व्यर्थ की बातो में अपने बहुमूल्य समय को बर्बाद मत करो।
(2) हमेशा अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए लक्ष्य को याद रखने का प्रयास करें।
(3) दूसरों की बुराई करने से बचें।
(4) अपने भीतर केवल अपनी नहीं अपितु सबके कल्याण की भावना का विकास करें।
(5) हमारा हर विचार एक कर्म है जिसके परिणामस्वरूप हमारी नियति प्रभावित होती है।
(6) गलत कर्म न केवल गलत कार्य कर रहा है बल्कि गलत विचार भी बना रहा है।
(7) दूसरो के विषय में इर्षा की भावना रखने से मनुष्य स्वयं अपने पतन की ओर अग्रसर हो जाता है।
(8) ये नकारात्मक विचार हमें दुखी करते हैं और यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित करते है और संबंधों में संघर्ष बनाते है, जो हमारी नियति बन जाता है।
अतः हम सबको हमेशा अच्छी सोच रखनी चाहिए जिससे हम संसार के लिए एक प्रेरणात्मक उदाहरण बन जाए।
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