Shrawasti - Buddha ki Taposthali

श्रावस्ती अर्थात भगवान बुद्ध की तपोस्थली

गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी क्षेत्र में हुआ था। आज उन्हीं की तपोस्थली के रूप में श्रावस्ती का नाम विश्व विख्यात है। श्रावस्ती भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बहराइच जिले से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और एक बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में विश्व विख्यात है। प्राचीन इतिहास की माने तो श्रावस्ती का नाम रामायण और महाभारत काल के महाकाव्य में भी नजर आता है।

रामायण महाकाव्य के अनुसार भगवान राम के स्वर्गारोहण के पश्चात उनके पुत्र कुश ने श्रावस्ती को कोशल देश की राजधानी बनाया था। अनुश्रुतियों के मुताबिक सूर्यवंशी राजा श्रावस्त के नाम पर इस नगरी का नामकरण श्रावस्ती नाम से पड़ा। दन्त कथाओ के अनुसार   उंगलीमाल  डाकू की गुफाएं भी इसी क्षेत्र में पाई जाती हैं। 

उंगलीमाल  डाकू वही खूंखार डाकू था जो की राहगीरों की उंगलियां काट कर उनकी माला बनाकर अपने गले में पहनता था पर एक दिन बुद्ध की शरण प्राप्त करने के पश्चात वही उंगलीमाल  डाकू नास्तिक से आस्तिक बन गया और बौद्ध भिक्षु बन गया। 

समस्त विश्व में बौद्ध धर्म के अनुयाई नक्शे पर देखते हैं तो उन्हें श्रावस्ती क्षेत्र एक अलग आकर्षण के केंद्र के रूप में दिखाई देता है क्योंकि श्रावस्ती वही स्थान है जहां पर गौतम बुद्ध ने अपने जीवन काल के सबसे ज्यादा बसंत बिताएं  हैं। श्रावस्ती में गौतम बुद्ध ने तप किया था श्रावस्ती का पुराना नाम जेतवन था। 

बोधि वृक्ष

इस स्थान पर आज भी वह बोधि वृक्ष विराजमान है जहां बैठकर भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों को उपदेश दिया था। श्रावस्ती का पुराना नाम 'जेतवन '  है और साथ ही साथ इसे सहेट-महेट भी कहा जाता है श्रावस्ती को शांति के दूत गौतम बुद्ध की पावन तपोस्थली के रूप में समस्त संसार में जाना जाता है और देश विदेश से पर्यटक अपनी आस्था के केंद्र श्रावस्ती में गौतम बुद्ध के दर्शन करने और उस परम शांति की तपोस्थली को देखने के लिए आते हैं। 

इस नगरी में आपको हर तरफ बौद्ध भिक्षु नजर आ जाएंगे। अलग-अलग देशों ने यहां पर भगवान बुद्ध के मंदिर बनवाए हैं जिनमें सबसे प्रमुख मंदिर डीनमहामंकोल  का है जोकि थाईलैंड के बौद्ध भिक्षुओं ने बनवाया है। 

श्रावस्ती में थाईलैंड ,जापान ,कोरिया, श्रीलंका आदि अलग-अलग देशों ने बौद्ध मंदिर और स्तूपों का निर्माण करवाया है जिनका आकर्षण देखते ही बनता है। 

यही कारण है कि देश विदेश से लाखों तीर्थयात्री हर साल श्रावस्ती क्षेत्र के दर्शनों के लिए आते हैं और यहां आकर भगवान बुद्ध के मंदिरों में दर्शन करके ,उनके  स्तुपो  के दर्शन करके उस परम शांति को महसूस करते हैं जो भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों में उन्हें प्रदान की थी। 

Comments